Tuesday, September 01, 2020

आखिर यह इकोसिस्टम बला क्या है

 स्वतंत्रता दिवस, खाली बैठा हू, सोचा कुछ लिखा जाए, वैसे तो सोचने की क्षमता को लेफ्ट लिबरल्स के आकाओं ने बड़ी चालाकी से काल कोठरी में डाल दिया है, पर फिर वही गीता याद आ जाती है, कर्म किए जा...


वैसे कई लेफ्ट लिबरल्स इसके आगे नहीं पढ़ेंगे और कईयों को मालूम भी नहीं होगा यह लेफ्ट लिबरल्स क्या बला हैं, उसके बारे में आगे बताऊँगा, पहले कुछ गहरी बातें हो जाए. मोटा मोटी आइडीयोलोजीज दो प्रकार की है हमारे देश में, लेफ्ट और राइट, और दोनों का वर्चस्व के लिए लड़ना लाज़मी है, दुनिया भर में चलती है यह लड़ाई. अब आप किस तरफ खड़े है, और क्यु खड़े है यह जानना बहुत जरूरी है, पर उससे पहले यह भी जानना जरूरी है कि यह लेफ्ट विंग आइडीयोलोजीज बेसीकली है क्या, और अगर आप या आपके बच्चे इस आइडीयोलोजी को फोलो करते है तो क्यु, और क्या है इनका फलसफा.

सबसे पहली बात तो आप पूरे विश्व के इतिहास में एक भी सफल उदाहरण नहीं पाएंगे जहां ईन लेफ्ट लिबरल्स की आइडीयोलोजीज पर चल कर किसी देश ने विकास और समृद्धि को छुआ हों, सिवाय रक्तपात और भुखमरी के इन्होंने कहीं भी कुछ नहीं दिया है, और सबसे बड़ी बात इनके झंडाबरदार स्वयं अपने परिवार अपनी जिंदगी में वो सब आइडीयोलोजीज लागू नहीं करते, ये लेफ्ट लिबरल्स अपने बुध्दिजीवी होने के मायने खुद नक्की करते है, और किसे बुद्धिजीवी घोषित करना है स्वयं नक्की करते है.

एक किस्म का मायावी मेट्रीक्स बुना है इन्होने, हर इन्सटीट्युशन पर कब्ज़ा किया हुआ है और शिक्षा के नाम पर शब्दों के खेल से बाल्यकाल से ब्रैनवाशिंग करते हुए एक ऐसी फौज तैयार की है जिसे सबकुछ समान्य लगता है. इसी फौज से अगली खेप तैयार होती है.

अब भारत के संदर्भ में कहूँ तो इनके प्रतिपक्ष में राइट विंग की झंडाबरदारी करता है RSS, अब एक्चुअली देखा जाए तो युद्ध आइडीयोलोजीज का होना चाहिए, फेयर होना चाहिए, पर जब आपकी आइडीयोलोजीज खोखली हो, आपके प्रयोग दुनिया के हर कोने में नाकाम हो चुके हों तो, आप अपनी जीत के लिए बदमाशी का सहारा लेते है, ठीक वहीं हुआ अपने देश में, आजादी के बाद हर इन्सटीट्युशन पर कब्ज़ा कर लिया गया, ज्ञान और जानकारी के हर स्त्रोत पर कब्ज़ा कर लिया गया और स्वघोषित स्वयंभू बुद्धिजीवी शब्दों को तोड़ मरोड़ कर ब्रैनवाशिंग में लग गए, और पीढियां बर्बाद हो गई.

ना ना ना ना, बिल्कुल सही लग रहा है आपको की मैं बकवास कर रहा हूं, क्युकि आप और मैं सभी इन्हीं पीढियों से वाकिफ़ रखते है, जब तक ईन स्त्रोतों पर इनका जमावड़ा, इनका एकाधिकार इनकी तूती बोलती थी, सब कुछ बिल्कुल शांति से चल रहा था, इनकी बदमाशियां बेरोकटोक चल रही थी. 

तब कोई एक दूसरी आइडीयोलोजी बिल्कुल शांति से अपनी बातों को अपने तरीके से जनता के बीच रख रही थी, धैर्य उसी में होता है जिसे अपनी क्षमताओं पर भरोसा होता है, और ऐसा नहीं था कि ये लेफ्ट लिबरल्स इस दरमियाँ शांत थे, इन्होने हर वो कोशिश की इस दूसरी आइडीयोलोजी को हताश निराश करने की, चलिए अब आगे इस लेख में इन्हें भक्त कहेंगे, क्युकि यही हमको बताया गया इनके बारे में.

खैर वक़्त बदला, धैर्यवान अपनी क्षमताओं से देश की जनता के विश्वास के बल पर इस मायावी मेट्रीक्स को परास्त करने के कुछ करीब आने में कामयाब रहे, यहां ईन लेफ्ट लिबरल्स ने आप मुझे सबको यह बताया कि भक्त लोग EVM में छेड़खानी कर के इतना कुछ कर पाए, और हमारे वाशड् ब्रैइन को यह बात आज भी बार बार बताई जाती है.

यह दूसरी धैर्यवान आइडीयोलोजी का अपना एक तरीका है अपनी क्षमताओं को विकसित करने का, यह सेवा, समरसता और स्वतंत्रता में विश्वास करता है, यह इनसेस्चुअल तरीके से अपना नेतृत्व नक्की नहीं करता, यह शब्दों के मायाजाल नहीं बुनता, यह कथनी करनी में किसी तरह की हीपोक्रीसी नहीं रखता, और सबसे बड़ी बात यह व्यक्तित्व के विकास पर बल देता है, खैर अगर हम में से कईयों के मन में अभी भी भक्त शब्द जोर मार रहा हो, तो कुछ गलत नहीं है, जैसा मैंने पहले कहा था आप मैं हम सभी इसी लेफ्ट लिबरल्स ईकोसिस्टम के उत्पाद है.

इसी कशमकश के बीच इन्टरनेट आ चुका था, विशुद्ध डीसेन्ट्रलाइजेशन हो रहा था, अब चोरों में खलबली मचना स्वाभाविक था, सेंया की कोतवाली छूट गई थी, जो झूठ पहले सच्चे कपड़ों में घुमाएं जाते थे, अब पल में पकड़े जाने लगे, अँग्रेजी में एक शब्द है रेटल, अंदर से हिल जाना, बस वही हो रहा है, और उसी को अलग अलग शब्दों के शृंगार के साथ आपके उसी बालमन को परोसा जा रहा है.

नहीं ये जो दूसरी आइडीयोलोजी है वो आपको अपनी फ़ौज में नहीं खड़ा करना चाहती, वो आपके व्यक्तित्व को क्षमतावान बनाती है, यह ग्यान और जानकारी के स्त्रोतों पर नियंत्रण नहीं रखती, सीधे शब्दों में कहूँ तो ये शब्दों के मायाजाल नहीं बुनती, और अगर मायाजाल ही नहीं बुनती तो फंसने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता, इसको पता है कि अगर इसने आपको सच को देखना पढ़ना सीख दिया तो लेफ्ट लिबरल्स आधा युद्ध तो वैसे ही हार जाएंगे.

लंबा हुए जा रहा है लेख, अतः समाप्त करता हूं, आखिरी कुछ पंक्तियां, इन्टरनेट ने बहुत ऐसे चेहरे दिए है जिनकी सत्यनिष्ठा आप आसानी से पहचान सकते है, मैं नहीं कहता कि किस आइडीयोलोजी को फोलो करना चाहिए, पर कोशिश कीजिए अनबाय्सड, सत्यनिष्ठ, जानकार व्यक्तित्व को फोलो कीजिए, अपनी सोच को वापस एक नया आकार देने की कोशिश कीजिए.

जय हिंद, स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाओं सहित 

आपका 

Vikram Gandhi